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Saturday, May 7, 2005

अंगिका कहावत - अंगिका लोकोक्ति - अंगिका मुहावरा

अंगिका कहावत

मानव समुदाय अनादि काल से  परंपरागत विषयों में जो कुछ भी देखता-सुनता एवं अनुभव करता आया है, उसे वह सूत्रबद्ध शैली में व्यक्त करता रहा है । ये ही सूत्र कहावतें हैं । अंग देश में प्रचलित कहावतें वहाँ की भाषा अंगिका में हैं जो करोड़ों अंगिका भाषा-भाषी के कंठों में विद्यमान हैं । यहाँ उन्हीं कहावतों को शब्द रूप दिया गया है ।

कहावतों का महत्व

कहावतें जन-मानस की अत्यन्त प्राचीन तथा परंपरागत धरोहर होती हैं, इसलिए उनमें संबद्ध जन-समुदाय, क्षेत्र अथवा राज्य व राष्ट्र की भाषा का प्राचीन रूप सुरक्षित रहता है ।

कहावतों में बहुत सारे ऐसे शब्द सुरक्षित रहते हैं, जो बोलचाल तथा लिखित साहित्य में कालक्रम से अप्रचलित हो जाते हैं ।

इस प्रकार कहावतों का जितना महत्व किसी देश, काल, पात्र अर्थात जाति, जन-समुदाय, प्रदेश अथवा संपूर्ण राष्ट्र की सभ्यता-संस्कृति तथा साहित्य के अध्ययन की दृष्टि से है, उतना ही उसकी भाषा के अध्य़य़न की दृष्टि से भी ।

कहावतों के संग्रह में इनके  रूप,  ध्वनि, शब्दों के उच्चारण आदि को मूल रूप में रखने का यथासंभव प्रयास किया गया है ।

इस संग्रह के लिए हमने स्वतः द्वारा किये गए बर्षों के लोक संवाद के अलावे भी कुछ अन्य स्त्रोतों का अध्ययन किया है ।  हम उन सब व्यक्ति व संस्था के प्रति आभार प्रकट करते हैं ।

अंगिका कहावत कोश के लिए यहाँ क्लिक करें

अंगिका लोकोक्ति

कहावत को लोकोक्ति भी कहते हैं । लोकोक्ति का अर्थ है - लोक की उक्ति । किन्तु वस्तुतः केवल वही उक्ति इसके अन्तर्गत आती है, जिसमें लोक का कोई अनुभव सूत्र रूप में संचित रहता है ।

अंगिका मुहावरा

मुहावरा एक वाक्य-खंड अथवा वाक्यांश होता है । जबकि कहावत एक सम्पूर्ण तथा स्वतंत्र समासिक या सूत्रवाक्य ।

कहावत में एक पूर्ण सत्य अथवा विचार की अभिव्यक्ति होती है जबकि मुहावरे में ऐसा नहीं होता ।

मुहावरा किसी भाषा में एक लाक्षणिक अथवा ध्वन्यात्मक प्रयोग होता है ।

कहावतें स्वतंत्र एवं मुहावरे परतंत्र होते हैं ।

कहावतों के स्वतः संपूर्ण या स्वतंत्र तथा मुहावरों के परतंत्र होने का ही यह फल है कि अनेक कहावतों में भी मुहावरों का समावेश होता है ।

मुहावरों को भाषा की समृद्धि और सभ्यता के विकास के पैमाने के रूप में देखा जा सकता है । यह भाषा निर्माण की शक्ति का भी द्योतक है ।

समाज और देश की तरह मुहावरे भी बनते-बिगड़ते रहते हैं । नये प्रचलन व रीति को अपनाने से भी कई नए मुहावरों का जन्म होता है । जो समाज जितना अधिक व्यवहारिक होगा उनकी भाषा में मुहावरों का प्रयोग भी उतना ज्यादा होगा ।

मुहावरों का प्रयोग हमेशा किसी वाक्य के प्रसंग में होता है , अलग से नहीं । वाक्य के प्रवाह को बनाये रखने और उनमें  लाक्षणिकता और लालित्य के समावेश हेतु मुहावरों के प्रयोग किए जाते हैं ।

अंगिका मुहावरों की संक्षिप्त सूची

आगू नाथ नै पाछू पगहा (बेरोकटोक)
अंट-संट कहना (भला-बुरा कहना)
अँचरा बिथारना (याचना करना)
आन्हरऽ (आंधरऽ) बनना (अनदेखा करना)
अकल प॑ ढेलऽ (बुद्धि भ्रष्ट)
अऽन-जऽल छोड़ी देना (मरने के करीब)
अन्हरा के लाठी (एकमात्र सहारा)
अकल केरऽ दुसमन (बेवकूफ होना)
अपनऽ गोरऽ प॑ ठारऽ होना (स्वावलंबी होना)
अपनऽ गोरऽ प॑ टेंगारी चलाना (संकट मोल लेना)

उगली देना (गुप्त बात बताना)
उनीस-बीस (लगभग एक तरह का होना)

एक्के लाठी सें सब क॑ हाँकना (योग्ता-अयोग्यता को ध्यान में रखे बिना किया गया व्यवहार)
एक नजरी सें देखना (बराबर का मान)

करेजऽ ठंडऽ होना (संतोष होना)
कऽल पड़ना (राहत मिलना)

खद्दा खानना (हानि पहुँचाने की कोशिश करना)
खेल खेलाना (परेशान करना)

गरदासा झारना (बुरा हाल करना)
गाल बजाना (डींग हाँकना)
गिरगिट जैसनऽ रंग बदलना (असहज बर्ताव)
गुल्लर केरऽ फूल होना (लापता हो जाना)
गीढ़ऽ बाँधना (ठान लेना)
गड़लऽ मुरदा उखाड़ना (दबी बात को फिर से सामने लाना)
गुदड़ी केरऽ लाल (निर्धन के घर गुणवान)

घैला फूटी जाना (मुसीबत बढ़ना)
घऽर बसाना (ब्याह करना)
घर के नै घाट के (कहीं का भी नहीं)
घात लगाना (छिप कर बुरा करने के मौके का इंतजार)

चूड़ी पहनना (औरत सी असमर्थता)
चदरा सें बाहर गोर फैलाना (आय से अधिक व्यय करना)

छप्पर केरऽ मुन्हऽ उजड़ना (अचानक बड़ी मुसीबत से सामना)
छप्पर फाड़ी क॑ (बिना परिश्रम बहुतायत में)

जहर उगलना (बुराई करना, अपमानजनक बातें कहना)
जुत्ता चाटना (चापलूसी करना)
जमीनी प॑ गोर नै रखना (बहुत अधिक घमंड करना)

टटका-टटकी (एकदम ताजा)
टाँग अड़ाना (अड़चन डालना)

ठेंगा देखाना (समय पर धोखा देना)

तनी ठो मुँह बनी क॑ रही जाना (लज्जित होना)
तिल केरऽ ताड़ बनाना (छोटी बात को बढ़ा-चढ़ा कर बताकर तूल देना)

दू कौड़ी के आदमी (तुच्छ व्यक्ति)
दौड़-धूप करना (बहुत प्रयास करना)
दू दिनऽ के मेहमान (शीघ्र मरने वाला)

निनानबे के फेर (किसी भी तरीके से धन जोड़ने की बुरी लत)
नै हिनकरऽ नै हुनकरऽ (कहीं का नहीं)

पहाड़ टूटी पड़ना (भारी विपत्ति से सामना)

फलना-फूलना (संपन्न होना)

बेंत बाना (गलती का अहसास होना)
बीख उगलना (बुराई करना, अपमानजनक बातें कहना)

बाट जोहना   (इंतजार करना)

मक्खी मारना (बेकार बैठे रहना)

रग टुटना (थकान)
राह तकना (इंतजार करना)

लै के दै ल॑ पर॑ (नफा के बदले नुकसान)
लकीर केरऽ फकीर (पुराने कायदे से चलना)

सर प॑ गोर रखी क॑ भागना (चंपत होना)
सब धऽन बायस पसेरी (गुणवत्ता का ख्याल किए बिना मोल भाव)
सोलह आना सही (पूरी तरह सही)
साँप-छूछूंदर केरऽ खेल (दुविधा की स्थिति)

हेठऽ प॑ गोर नै रखना (बहुत अधिक घमंड करना)
हाथऽ प॑ हाथ धरी क॑ बैठना (निष्क्रिय रहना)
हाथ पैर मारना (खूब चेष्टा करना)
हाथ मलना (पछताना)

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